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के पी भाई आप का “यूपी के रणछोर राहुल पर टिकी कांग्रेस” लेख पढ़ा आप का विचार अच्छा है लेकिन जागो भारत जागो से राजेश का विचार आप के लेख के बिलकुल विपरीत है । में उनकी जानकारी के बारे में बता दू के कांग्रेस भारतीय राजनीती में बरगद का पेड़ है जिसको कोई भी अपने घर में लगना नही चाहता लेकिन उसके साय में बैठना सब चाहते है । रहा प्रतिद्वंद्वी के
विरोध की बात तो “जावर लाल नेहरु की हरित क्रांति हो या मनमोहन सिंह का साझा बाज़ार में प्रवेश ” कांग्रेस को इन सब योजनाओ को सफलता बाद मिली लेकिन प्रतिद्वंद्वी का फ़िज़ूल का विरध पहले झेलना पड़ा । और मेरी समझ में नही आता के कांग्रेस पार्टी में इतनी बुराई है तो १९७७ में आपात कल के बाद तो इस पार्टी को नेस्तानाबूद हो जाना चाहिए था । लेकिन एसा नही हुआ । रहा नेत्रुत का सवाल तो भी जवाहर लाल ,के बाद लाल बहदुर शास्त्री, फिर इन्द्रा गाँधी,राजीव गाँधी ,और सब से अदभुद फेसला मनमोहन सिंह को सोनिया के दुआर प्रधान मंत्री बना देना, इस फेसले से तो पार्टी के मठाधीशो ने ही विरोध कर दिया था उनका हश्र किया हुआ सगमा और नजमा हेपतुल्ला के स्थिति देख कर लगया जा सकता है । इसके बाद भी राजेश जी आप को लगता है कि कांग्रेस आने वाले लोक सभा में किसी से कम रहेगी तो आप को कोंग्रेस पार्टी को सही ढंग से समझना पड़ेगा ?
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